Rishab Pant: मुझे लगा था कि मेरा समय पूरा हो चुका है…

Rishab Pant: उस दुर्घटना के बाद पंत पहली बार खुलकर बोले हैं। स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान पंत ने बताया, “पहली बार मुझे ज़िंदगी में लगा कि मेरा समय ख़त्म हो चुका है। दुर्घटना के समय मुझे पता था कि मुझे कहां-कहां चोट लगी है। यह और भी गंभीर हो सकता था, लेकिन मैं भाग्यशाली रहा।”

30 दिसंबर 2022 को हुई कार दुर्घटना के समय ऋषभ पंत के दिमाग़ में पहला ख़्याल यही आया था कि इस दुनिया में उनका समय पूरा हो चुका है। पंत का मानना है कि वह बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्हें दूसरी ज़िंदगी मिली है। वह कहते हैं कि इस घटना से उन्हें यही सबक़ मिला है कि ख़ुद पर विश्वास सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।

देहरादून में हुई शुरुआती चिकित्सा के बाद पंत को एयरलिफ़्ट करके मुंबई ले गया था, जहां पर BCCI की विशेष निगरानी में उनके दाएं घुटने के तीनों लिगामेंट की सर्जरी हुई। इसके बाद पंत रिहैब के लिए NCA बेंगलुरू गए।

Rishab Pant: दुर्घटना से ठीक 6 महीने बाद अगस्त 2023 में हुई इस साक्षात्कार के दौरान पंत ने कहा, “मैं फ़िलहाल अपनी रिकवरी पर फ़ोकस कर रहा हूं, इसलिए दुनिया से भी कटा हुआ हूं। इससे मुझे तेज़ी से उबरने में मदद मिलेगी। रिकवरी के लिए आपको एक ही चीज़ हर दिन करना होता है। यह उबाऊ, निराश, उदास और चिड़चिड़ा करने वाला भी हो सकता है।”

Rishab Pant,,: पंत आगे बताते हैं, “जब से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, मैं कभी भविष्य के बारे में नहीं सोचता था। लेकिन इस चोट के बाद मैंने भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया। मैंने डॉक्टर से पूछा कि इससे उबरने में मुझे कितना समय लगेगा। मैंने उनसे कहा कि अलग-अलग लोग दस बातें बोल रहे हैं और आप ही मुझे स्पष्टता दे सकते हैं। उन्होंने बताया था कि इसमें 16 से 18 महीने लग सकते हैं। मैंने फिर डॉक्टर से कहा कि आप जितना समय दोगे, मैं उसमें से छह महीने घटा लूंगा।”

Rishab Pant : ने बताया कि वह रजत और निशु कुमार की वजह से ज़िंदा हैं, जिन्होंने पंत को जलते हुए कार से बाहर निकाला था। पंत ने जनवरी 2023 में एक सोशल मीडिया पोस्ट कर बताया था कि वह हमेशा इन दोनों लड़कों के आभारी रहेंगे।

Rishab Pant : ने दुर्घटना के समय को याद करते हुए बताया कि उनका दायां घुटना पूरी तरह से डिसलोकेट हो गया था और 180 डिग्री तक मुड़ रहा था। उन्होंने आस-पास खड़े लोगों से घुटने को अपनी जगह पर लाने के लिए मदद मांगी।

वह दर्द से कराह रहे थे और अब ख़ुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें दुर्घटना के दौरान अपना पैर नहीं गंवाना पड़ा। “अगर हड्डी के अलावा किसी नस को नुक़सान पहुंचा होता तो यह भी संभव था कि वे मेरा पैर, शरीर से अलग कर देते।”

@RishabPant

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