Border-Gavaskar Trophy: बेंच पर बैठे खिलाड़ियों का न खेलना कितना महंगा पड़ा?

Border-Gavaskar Trophy: रविवार को भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3-1 से सीरीज हारकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी गंवा दी। पिछले 10 साल से इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर अपना कब्जा जमाने के बाद, इस बार भारतीय टीम की बल्लेबाजी के खराब प्रदर्शन ने हार की वजह बन दी। अभिमन्यु ईश्वरन और सरफराज खान जैसे खिलाड़ी पूरी सीरीज में बेंच पर रहे, जबकि ध्रुव जुरेल को सिर्फ एक मैच में मौका मिला। https://cricketmaan.com

डेढ़ महीने तक चले इस रोमांचक सीरीज का समापन सिडनी में हुआ, जहां दो दिग्गज टीमों, भारत और ऑस्ट्रेलिया, के बीच टक्कर देखने को मिली। इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने भारत की 10 साल की बादशाहत खत्म करते हुए सीरीज 3-1 से अपने नाम कर ली। भारत ने पिछली दो बार 2018/19 और 2020/21 में ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर हराया था।लेकिन इस बार भारत कहां चूक गया?

चुनाव और रणनीति में चूक

भारतीय चयन समिति ने 18 सदस्यीय मजबूत टीम चुनी थी, जिसमें से 16 खिलाड़ियों ने कम से कम एक टेस्ट खेला। यहां तक कि भारत ए टीम में शामिल देवदत्त पडिक्कल को भी शुरुआती टेस्ट में शामिल किया गया, जब नियमित कप्तान रोहित शर्मा व्यक्तिगत कारणों से अनुपस्थित थे।

फिर भी, पूरी सीरीज में भारत सिर्फ तीन बार 200 रनों का आंकड़ा पार कर सका। बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए ऑलराउंडरों को शामिल किया गया, लेकिन यह रणनीति कारगर साबित नहीं हुई। इसके बावजूद, विशेषज्ञ बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन और सरफराज खान को मौका नहीं दिया गया।

अभिमन्यु ईश्वरन और सरफराज खान: क्या इन्हें मौका मिलना चाहिए था?

सीरीज के पहले टेस्ट में रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में अभिमन्यु ईश्वरन एक आदर्श विकल्प हो सकते थे। ईश्वरन ने भारत ए टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया में खेला था, लेकिन वहां खराब प्रदर्शन (7, 12, 0 और 17 रन) के कारण उन्हें टीम प्रबंधन ने नजरअंदाज कर दिया। इसके बजाय देवदत्त पडिक्कल को चुना गया, जिससे साफ था कि टीम का ईश्वरन पर भरोसा नहीं था।

मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज सरफराज खान को भी टीम में शामिल नहीं किया गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछली सीरीज में सरफराज का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। इसके अलावा, सरफराज की शॉर्ट बॉल्स के खिलाफ कमजोरी को देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया की तेज पिचों पर उन्हें मौका देना टीम प्रबंधन ने जोखिम भरा समझा।

ध्रुव जुरेल और अन्य खिलाड़ियों का योगदान

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ध्रुव जुरेल ने भारत ए बनाम ऑस्ट्रेलिया ए मैच में 80 और 68 रन बनाए थे, जिसके बाद उन्हें पर्थ में पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला। हालांकि, वहां जुरेल (11 और 1) कुछ खास नहीं कर सके और बाकी सीरीज में उन्हें बाहर रखा गया।

सीरीज के बीच में आर अश्विन के संन्यास लेने के बाद तनुश कोटियन को शामिल किया गया, लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इसी तरह, रिजर्व खिलाड़ियों जैसे मुकेश कुमार, नवदीप सैनी और खलील अहमद को भी नजरअंदाज किया गया। खासकर मुकेश कुमार का बाहर रहना काफी चर्चा में रहा, क्योंकि भारतीय गेंदबाजों पर बढ़ते वर्कलोड के बावजूद उन्हें नहीं आजमाया गया।

भारत का प्रदर्शन बेहतर हो सकता था

सीरीज में भारतीय टीम ने कई रणनीतिक गलतियां कीं, जिनमें बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को मौका न देना भी शामिल था। बेहतर चयन और प्रयोग से शायद भारत का प्रदर्शन बेहतर हो सकता था।

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